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नज़्म
गुड़गुड़ाती हुई पान की पीकों में वो दाद वो वाह वा
चंद दरवाज़ों पे लटके हुए बोसीदा से कुछ टाट के पर्दे
गुलज़ार
नज़्म
इस बख़्शिश के इस अज़्मत के हैं बाबा नानक शाह गुरु
सब सीस नवा अरदास करो और हर दम बोलो वाह गुरु
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
उठाना हाथ प्यारे वाह-वा टुक देख लें हम भी
तुम्हारी मोतियों की और ज़री के तार की राखी
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
आज का दिन कैसा बा-रौनक़ है बच्चो वाह वाह
मर्द बूढे हों कि बच्चे जा रहे हैं ईद-गाह
मुर्तजा साहिल तस्लीमी
नज़्म
ऐ ख़ुशा क़िस्मत तिरी जमुना ख़ुशा तेरे नसीब
वाह-वा तेरे मुक़द्दर वाह-वा तेरे नसीब