आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "کاش"
नज़्म के संबंधित परिणाम "کاش"
नज़्म
क्यूँ ज़ियाँ-कार बनूँ सूद-फ़रामोश रहूँ
फ़िक्र-ए-फ़र्दा न करूँ महव-ए-ग़म-ए-दोश रहूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तो मैं क्या कह रहा था यानी क्या कुछ सह रहा था मैं
अमाँ हाँ मेज़ पर या मेज़ पर से बह रहा था मैं
जौन एलिया
नज़्म
ख़ामोशी मेरी साथी है और देखने वाला कोई नहीं
ऐ काश कहीं से आ जाते जीने का बहाना कोई नहीं
वसीम बरेलवी
नज़्म
मगर ऐ काश देखें वो मिरी पुर-सोज़ रातों को
मैं जब तारों पे नज़रें गाड़ कर आँसू बहाता हूँ
साहिर लुधियानवी
नज़्म
असीरान-ए-क़फ़स से काश ये सय्याद कह देता
रहो आज़ाद हो कर हम तुम्हें आज़ाद करते हैं