aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "کھڑکی"
कहीं कुछ दूर से कानों में पड़ती है अगर उर्दूतो लगता है कि दिन जाड़ों के हैं खिड़की खुली है, धूप अंदर आ रही है
सब उठो, मैं भी उठूँ तुम भी उठो, तुम भी उठोकोई खिड़की इसी दीवार में खुल जाएगी
खिड़की से बाहर का मंज़र देख रही हूँसोच रही हूँ
खिड़की से बुलाती हैहमें माथे पे बोसा दो
हमें कोई नहीं देखेगामगर हम हर बंद खिड़की की तरफ़
सब मिरे तमाशाईसामने की खिड़की से
कोई रौज़न कोई खिड़की नहीं बाक़ीफ़क़त क़ब्रें ही क़ब्रें हैं
ये खिड़की का रंगीन शीशा गिराएवो शीशे से रंगीन चेहरा मिलाए
तब मैं ने खिड़की खोली थी!तुम ने पर्दा सरकाया था
बीवी बच्चों ने मिरेउस को खिड़की से परे फेंक दिया
इश्क़ ने ज़हर खा लिया होगातुम अकेली खड़ी हुई होगी
इस कमरे में इक खिड़की हैजो छत के बराबर ऊँची है
ज़ख़्म खिड़की की तरह खोलती हैऔर कहती है झाँक कर दिल में
दरवाज़ा खिड़की मुँह खोले तकते हैंदीवारों पर भुतने हँसते रहते हैं
फिर बाम हुए रौशनखिड़की के किवाड़ों पर साया सा कोई लर्ज़ा
वक़्त दिनों ही गले मिलते थेमैं ने खिड़की से हटाया पर्दा
दिल में कुछ ऐसे घाव थे तीर-ए-मलाल केरो रो दिया था खिड़की से गर्दन निकाल के
बस इक निगाहखिड़की की रंग-जालियाँ
इस हब्स के मौसम की खिड़की से हवा आईन फूल से ख़ुशबू की कोई भी सदा आई
सहर से शाम तक मैं किस लिए सड़कों पे फिरता हूँमैं खिड़की से लगी इक सीट की ख़ातिर सफ़र में
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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