aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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बदन की अंधी गुफा में छुपा हुआ होगाबढ़ा के हाथ
उसे कहना दिसम्बर आ गया हैदिसम्बर के गुज़रते ही बरस इक और माज़ी की गुफा में डूब जाएगा
शब की फ़र्श-ए-मरमरीं परशबनम-आगीं धुँद की नीली गुफा में
तुम ख़्वाबों की ताबीर से डर करलफ़्ज़ों की तारीक गुफा में छुप रहने के मुजरिम हो
जैसा आज का हैहर दिन अपनी अपनी गुफा में
साया साया हो गई काली गुफा की तीरगीऔर हर मंज़र नुमायाँ हो गया
वादियाँ जिस ने बाँट दी हैंमैं इक गुफा हूँ
गुम-शुदा वक़्त जैसी अँधेरी गुफा हैयहाँ से जो देखो... तो
तो उस ने मुझे इक पहाड़ी गुफा में उताराजहाँ सीम-ओ-ज़र का इक अम्बार सा था
उसी अंधी गुफा में हमजहाँ रौशन हुई थी आग पहले-पहल
चाँद को बाहर फ़लक पर छोड़ करवक़्त की अंधी गुफा में
अंधेरा थाअंधेरे के समुंदर की गुफा में लाल-क़िलआ था
ख़ौफ़ की इस गुफा में छुपा हूँ जहाँएक मेहराब फिर दूसरी फिर कई
तिलिस्म-ए-सौत जिस का नाम था फिर वो गुफा आईथकन की नींद जैसी गुनगुनाती झूमती
जो गुफा में निराशा की पथरा गई हैंसहेली तुम आशा के घुँगरू पहन लो
आ लेटा हूँइस अंधी गुफा में
अजगर गुफा में लेटा शीरीनियाँ चबाएऔर हम ये सूखे पत्ते अब तक बटोरते हैं
कत्थई लम्सनीली आँखों की गुफा में जामिद
अगर तुम इब्न-ए-आदम होतो छुप जाओ किसी अंधी गुफा में तुम
होश आते ही चले क़स्र-ए-मुक़द्दस की तरफ़और सियह-रूह वो तारीक गुफा
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