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नज़्म
तस्वीर को मेरी फूलों की ख़ुशबू में बसाए बैठी हो
आँखों के नशीले डोरों पर काजल को बिठाए बैठी हो
वसीम बरेलवी
नज़्म
नाज़ुकी से जो उठा सकती न हो काजल का बार
उन सुबुक पलकों पे बैठे राह का बोझल ग़ुबार