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नज़्म
वो मेरा जो मौत के आगे बे-जिगरी से तनता है
वो मेरा जो आप न हो कुछ जिस की सब कुछ जनता है
अनवर साबरी
नज़्म
मेरी सूरत को तरसता है जो तिफ़्ल-ए-शीर-ख़ार
हो चुके हैं इस के अब्बा मुल्क-ओ-मिल्लत पर निसार
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
नज़्म
हुई मुद्दत कि तुझ से बात करने को तरसता हूँ
मैं हूँ अश्कों का बादल तेरी फ़ुर्क़त में बरसता हूँ
परवाज़ नूरपुरी
नज़्म
कि अक्सर मुलाक़ात होती है लेकिन मुलाक़ात को जी तरसता है पैहम
कई बार इस कैफ़ियत पर हँसा हूँ
कृष्ण मोहन
नज़्म
इलाही ख़ाक-ए-सरसय्यद से कुछ चिंगारियाँ दे दे
मज़ाक़-ए-दिल तरसता है तपिश-सामानियाँ दे दे