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नज़्म
दिल की ठंडक और आँखों की ज़िया हैं बेटियाँ
जल के ख़ुद जो रौशनी दे वो दिया हैं बेटियाँ
रूबीना मुमताज़ रूबी
नज़्म
चलो हम ऐसा करते हैं
ज़ईफ़-ओ-तिफ़्ल को बहू को बेटियों को माँ को हम मुश्तरका कहते हैं
अबु बक्र अब्बाद
नज़्म
यतीम पलकों की शबनमी आरज़ूओं का सोज़ ले कर
हम अपनी उन बेटियों की मांगों का हुस्न ले कर
हसन हमीदी
नज़्म
मोहम्मद हनीफ़ रामे
नज़्म
आँसूओं से बाग़-ए-दिल भी सींचता जाता है वो
बिन-बियाही बेटियों का ग़म पिए जाता है वो
मारूफ़ रायबरेलवी
नज़्म
बरहना पाँव जलती रेत यख़-बस्ता हवाओं में
गुरेज़ाँ बस्तियों से मदरसों से ख़ानक़ाहों में
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
कभी जो आवारा-ए-जुनूँ थे वो बस्तियों में फिर आ बसेंगे
बरहना-पाई वही रहेगी मगर नया ख़ारज़ार होगा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
क्या बाग़ियों की आतिश-ए-दिल सर्द हो गई
क्या सरकशों का जज़्बा-ए-पिनहां चला गया