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नज़्म
रह न सके अब इस दुनिया में युग सरमाया-दारी का
तुम को झंडा लहराना है मेहनत की सरदारी का
साहिर लुधियानवी
नज़्म
आज के युग में इन क़िस्सों की बात हुई पुरानी
दादी अम्माँ हमें सुनाओ अब इक नई कहानी