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नज़्म
है कोई तो बात जो वो आवाज़ दबाने पे आमादा है
लगा ले जितना दम हो अपना भी मज़बूत इरादा है
सचिन देव वर्मा
नज़्म
जल चुकी शाख़-ए-नशेमन थम चुकी बाद-ए-सुमूम
अब हवा-ए-नौ-बहाराँ कौसर-अफ़्शाँ है तो क्या