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नज़्म
वज़्अ में तुम हो नसारा तो तमद्दुन में हुनूद
ये मुसलमाँ हैं जिन्हें देख के शरमाएँ यहूद
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कोई मौज-ए-... कोई मौज-ए-शुमाल-ए-जावेदाँ जाने
शुमाल-ए-जावेदाँ के अपने ही क़िस्से थे जो गुज़रे
जौन एलिया
नज़्म
लबरेज़ है शराब-ए-हक़ीक़त से जाम-ए-हिंद
सब फ़लसफ़ी हैं ख़ित्ता-ए-मग़रिब के राम-ए-हिंद
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
धरती की सुलगती छाती से बेचैन शरारे पूछते हैं
तुम लोग जिन्हें अपना न सके वो ख़ून के धारे पूछते हैं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
नाज़ से हर मोड़ पर खाती हुई सौ पेच-ओ-ख़म
इक दुल्हन अपनी अदा से आप शरमाती हुई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ज़रदार नमाज़ी ईद के दिन कपड़ों में चमकते जाते हैं
नादार मुसलमाँ मस्जिद में जाते भी हुई शरमाते हैं
नुशूर वाहिदी
नज़्म
तहज़ीब जहाँ थर्राती है तारीख़-ए-बशर शरमाती है
मौत अपने कटे पर ख़ुद जैसे दिल ही दिल में पछताती है
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
सर-ए-दरिया परस्तिश हो रही है फिर गुनाहों की
करो यारो शुमार-ए-नाला-ए-शब-गीर बिस्मिल्लाह