आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "शाम"
नज़्म के संबंधित परिणाम "शाम"
नज़्म
मगर गुज़ारने वालों के दिन गुज़रते हैं
तिरे फ़िराक़ में यूँ सुब्ह ओ शाम करते हैं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
गर मुझे इस का यक़ीं हो मिरे हमदम मरे दोस्त
रोज़ ओ शब शाम ओ सहर मैं तुझे बहलाता रहूँ
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
तुम्हारी सुब्ह जाने किन ख़यालों से नहाती हो
तुम्हारी शाम जाने किन मलालों से निभाती हो
जौन एलिया
नज़्म
अख़्तर शीरानी
नज़्म
तड़प सेहन-ए-चमन में आशियाँ में शाख़-सारों में
जुदा पारे से हो सकती नहीं तक़दीर-ए-सीमाबी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हर शाम यहाँ शाम-ए-वीराँ आसेब-ज़दा रस्ते गलियाँ
जिस शहर की धुन में निकले थे वो शहर दिल-ए-बर्बाद कहाँ
हबीब जालिब
नज़्म
मस्ताना हाथ में हाथ दिए ये एक कगर पर बैठे थे
यूँ शाम हुई फिर रात हुई जब सैलानी घर लौट गए