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नज़्म
रूह को उस की असीर-ए-ग़म-ए-उल्फ़त न करूँ
उस को रुस्वा न करूँ वक़्फ़-ए-मुसीबत न करूँ
नून मीम राशिद
नज़्म
ग़रज़ वो हुस्न जो मोहताज-ए-वस्फ़-ओ-नाम नहीं
वो हसन जिस का तसव्वुर बशर का काम नहीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
वो फ़लसफ़े जो हर इक आस्ताँ के दुश्मन थे
अमल में आए तो ख़ुद वक़्फ़-ए-आस्ताँ निकले
साहिर लुधियानवी
नज़्म
कितनी फ़र्ख़न्दा है शब कितनी मुबारक है सहर
वक़्फ़ है मेरे लिए तेरी मोहब्बत की नज़र
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
हुस्न हो जाएगा जब औरों का वक़्फ़-ए-ख़ास-ओ-आम
दीदनी होगा तिरे ख़ल्वत-कदे का एहतिमाम
जोश मलीहाबादी
नज़्म
आसमाँ जान-ए-तरब को वक़्फ़-ए-रंजूरी करे
सिंफ़-ए-नाज़ुक भूक से तंग आ के मज़दूरी करे
जोश मलीहाबादी
नज़्म
शायर है तो अदना है, आशिक़ है तो रुस्वा है
किस बात में अच्छा है किस वस्फ़ में आली है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
हर लब था वक़्फ़-ए-नग़्मा तो हर दिल था शाद-काम
थी रश्क-ए-नूर सुब्ह-ए-बनारस अवध की शाम
अर्श मलसियानी
नज़्म
आँख वक़्फ़-ए-दीद थी लब माइल-ए-गुफ़्तार था
दिल न था मेरा सरापा ज़ौक़-ए-इस्तिफ़्सार था
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ब-ईं इनआम-ए-वफ़ा उफ़ ये तक़ाज़ा-ए-हयात
ज़िंदगी वक़्फ़-ए-ग़म-ए-ख़ाक-नशीनां कर दे
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
रोज़-ओ-शब मुंतज़िर-ए-दीद-ए-रुख़-ए-यार हूँ मैं
दिल है वक़्फ़-ए-ग़म-ए-आलाम कहाँ है आ जा
शकील बदायूनी
नज़्म
दुर-फ़िशाँ है हर ज़बाँ हुब्ब-ए-वतन के वस्फ़ में
जोश-ज़न हर सम्त बहर-ए-हिम्मत-ए-मर्दाना है