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नज़्म
सब पट्टा तोड़ के भागेंगे मुँह देख अजल के भालों के
क्या डब्बे मोती हीरों के क्या ढेर ख़ज़ाने मालों के
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
हाथ के एक इशारे से पानी में आग लगा सकता हूँ
राख के ढेर से ताज़ा रंगों वाले फूल उगा सकता हूँ
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
और ढेर अबीरों के लागे, सो इशरत की तय्यारी है
हैं राग बहारें दिखलाते और रंग-भरी पिचकारी है