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नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
यूँ कहने को राहें मुल्क-ए-वफ़ा की उजाल गया
इक धुँद मिली जिस राह में पैक-ए-ख़याल गया
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
यूँ फ़ज़ाओं में रवाँ है ये सदा-ए-दिल-नशीं
ज़ेहन-ए-शाइर में हो जैसे इक अछूता सा ख़याल
इब्न-ए-सफ़ी
नज़्म
हुर्रियत-ए-आदम की रह-ए-सख़्त के रह-गीर
ख़ातिर में नहीं लाते ख़याल-ए-दम-ए-ताज़ीर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
उस का मक़ाम-ए-बुलंद उस का ख़याल-ए-अज़ीम
उस का सुरूर उस का शौक़ उस का नियाज़ उस का नाज़
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
क़मर अब्बास क़मर
नज़्म
ख़याल-ए-नज़्म-ए-मय-कदा नहीं है फ़िक्र-ए-जाम है
मिला वो इख़्तियार जिस पे बेबसी है ख़ंदा-ज़न