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नज़्म
ये सरगोशियाँ कह रही हैं अब आओ कि बरसों से तुम को बुलाते बुलाते मिरे
दिल पे गहरी थकन छा रही है
मीराजी
नज़्म
फिर चली है रेल स्टेशन से लहराती हुई
नीम-शब की ख़ामुशी में ज़ेर-ए-लब गाती हुई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
रहबर जौनपूरी
नज़्म
ख़ल्वत-ए-ग़म के दरीचों पे ये दस्तक कैसी
ऐ मिरी फ़ख़्र-ए-वफ़ा रश्क-ए-चमन जान-ए-हया