aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ain-gain"
कि औलाद भी दी दिए वालदैनअलिफ़ लाम मीम काफ़ और ऐन ग़ैन
तू आ गई शामसुरमई वहशत ओ हज़ीमत के साए साए
अधूरी लड़कियोतुम अपने कमरों में पुराने साल के बोसीदा कैलन्डर सजा कर सोचती हो
दर्द की रात फिर आ गईमेरे पाँव की ज़ंजीर फिर जाने मुझ को कहाँ ले चलेगी
आ गई सावन की रुत काली घटा छाने लगी
कट गया दिन ढली शाम शब आ गईफिर ज़मीं अपने महवर से हटने लगी
آتي ہے دم صبح صدا عرش بريں سے کھويا گيا کس طرح ترا جوہر ادراک!
कहाँ आ गई हो मोहब्बत का कतबा उठाए हुएआओ आगे चलें
आ गई ठंडी हवा बरसात कीछा गई काली घटा बरसात की
कभी अपनी सी कभी ग़ैर नज़र आई हैकभी इख़्लास की मूरत कभी हरजाई है
और फिर एक दिन यूँ ख़िज़ाँ आ गईआबनूसी तनों के बरहना शजर
एक कछवे के आ गई जी मेंकीजिए सैर ओ गश्त ख़ुश्की की
मासी दही बिलोनाख़ाली नाँद की बासी ख़ुशबू
दिल को लुभा गई हैबरसात आ गई है
आज तू दफ़अ'तन सामने आ गईतेरी रफ़्तार बाद-ए-सबा की तरह
कहाँ से आ गईं रंगीनियाँ तमन्ना मेंकि फिर ख़याल ने लाले खिलाए सहरा में
आख़िरश आ गई वो शब ऐ दिलसुब्ह से इंतिज़ार जिस का है
चुपके चुपके ख़िज़ाँ आ गई बाग़ मेंपेड़ पौदों पे ज़र्दी छिड़कने लगी
फिर तिरी तितली-नुमा सूरत मुझे याद आ गईमुझ को वो लम्हा अभी भूला नहीं
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