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नज़्म
क़दम जो आगे बढ़ाए सब की ज़बाँ से दोहराओ वो कहानी
'नज़ीर' पंद्रह अगस्त से लो नए इरादे नई जवानी
नज़ीर बनारसी
नज़्म
उधर से कॉलेज की एक लड़की भी अपने कॉलेज को जा रही है
किताब दाबे क़दम बढ़ाए शबाब थामे नज़र झुकाए
नुशूर वाहिदी
नज़्म
अहमद नदीम क़ासमी
नज़्म
करामत बुख़ारी
नज़्म
सब जिसे इंतिहा कहें तू उसे इब्तिदा समझ
हो न इसी समझ पे ख़ुश यूँही बढ़ाए जा समझ