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नज़्म
शाहिद-ए-बज़्म-ए-सुख़न नाज़ूरा-ए-मअ'नी-तराज़
ऐ ख़ुदा-ए-रेख़्ता पैग़मबर-ए-सोज़-अो-गुदाज़
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
बज़्म-ए-अंजुम की हर एक तनवीर धुँदली हो गई
रख दिया नाहीद ने झुँझला के हाथों से सितार
इब्न-ए-सफ़ी
नज़्म
कोई सुनता नहीं इस दौर में इंसाँ की पुकार
बज़्म-ए-मातम में जो छेड़े तो कोई नग़्मा क्या
इज़हार मलीहाबादी
नज़्म
जानता हूँ मौत का हम-साज़ ओ हमदम कौन है
कौन है पर्वरदिगार-ए-बज़्म-ए-मातम कौन है
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
तो दिल ताब-ए-नशात-ए-बज़्म-ए-इशरत ला नहीं सकता
मैं चाहूँ भी तो ख़्वाब-आवर तराने गा नहीं सकता
साहिर लुधियानवी
नज़्म
बर्क़-ओ-आतिश से हुआ बर्बाद जिस का ख़ानुमाँ
अब वो आगाह-ए-नवेद-ए-बज़्म-ए-जाँ होने को है
फ़ज़लुर्रहमान
नज़्म
आँखों की चमक रू-कश-ए-बज़्म-ए-मह-ओ-परवीं
पैराहन-ए-ज़र-तार में इक पैकर-ए-सीमीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
इक़बाल सुहैल
नज़्म
रियाज़-ए-दहर में ना-आश्ना-ए-बज़्म-ए-इशरत हूँ
ख़ुशी रोती है जिस को मैं वो महरूम-ए-मसर्रत हूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये जा कर कोई बज़्म-ए-ख़ूबाँ में कह दो
कि अब दर-ख़ोर-ए-बज़्म-ए-ख़ूबाँ नहीं मैं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
आज भी साज़ से मिरे गर्मी-ए-बज़्म-ए-सर-कशी
आज भी आतिश-ए-सुख़न शो'ला-फ़िशाँ शरर-फ़िशाँ