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एक नग़्मा करबला-ए-बैरुत के लिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

एक नग़्मा करबला-ए-बैरुत के लिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

MORE BYफ़ैज़ अहमद फ़ैज़

    रोचक तथ्य

    This Nazm was dedicated to Lebnan's capital Beirut and Faiz was in Beirut itself at that time, around 1952

    बैरूत निगार-ए-बज़्म-ए-जहाँ

    बैरूत बदील-ए-बाग़-ए-जिनाँ

    बच्चों की हँसती आँखों के

    जो आइने चकना-चूर हुए

    अब उन के सितारों की लौ से

    इस शहर की रातें रौशन हैं

    और रख़्शाँ है अर्ज़-ए-लबनाँ

    बैरूत निगार-ए-बज़्म-ए-जहाँ

    जो चेहरे लहू के ग़ाज़े की

    ज़ीनत से सिवा पुर-नूर हुए

    अब उन के रंगीं परतव से

    इस शहर की गलियाँ रौशन हैं

    और ताबाँ है अर्ज़-ए-लबनाँ

    बैरूत निगार-ए-बज़्म-ए-जहाँ

    हर वीराँ घर, हर एक खंडर

    हम पाया-ए-क़स्र-ए-दारा है

    हर ग़ाज़ी रश्क-ए-अस्कंदर

    हर दुख़्तर हम-सर-ए-लैला है

    ये शहर अज़ल से क़ाएम है

    ये शहर अबद तक दाइम है

    बैरूत निगार-ए-बज़्म-ए-जहाँ

    बैरूत बदील-ए-बाग़-ए-जिनाँ

    स्रोत :
    • पुस्तक : Nuskha Hai Wafa (Kulliyat-e-Faiz) (पृष्ठ 698)
    • प्रकाशन : Educational Publishing House (2009)
    • संस्करण : 2009

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