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नज़्म
मदद करनी हो उस की यार की ढारस बंधाना हो
बहुत देरीना रस्तों पर किसी से मिलने जाना हो
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
हलवे के लिए फिर आज भी हम इक आस लगाए बैठे हैं
जो बात ज़बाँ पर ला न सके वो दिल में छुपाए बैठे हैं
शौकत परदेसी
नज़्म
यही क़ौमों को पहुँचाता है बाम-ए-औज-ओ-रिफ़अत पर
यही मुल्कों के अंदर फूँकता है रूह-ए-बेदारी
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
है अदब उर्दू का नाज़ाँ जिस पे वो है तेरी ज़ात
सर-ज़मीन-ए-शेर पर ऐ चश्मा-ए-आब-ए-हयात
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
ये मो'जिज़ा है तिरे ज़ौक़-ए-ताज़ा-कारी का
कि सर-निगूँ है फ़र-ओ-फ़ाल शहरयारी का
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
इन किताबों ने बड़ा ज़ुल्म किया है मुझ पर
इन में इक रम्ज़ है जिस रम्ज़ का मारा हुआ ज़ेहन
जौन एलिया
नज़्म
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों
न मैं तुम से कोई उम्मीद रखूँ दिल-नवाज़ी की