aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "gazaale.n"
रह गई रस्म-ए-अज़ाँ रूह-ए-बिलाली न रहीफ़ल्सफ़ा रह गया तल्क़ीन-ए-ग़ज़ाली न रही
लब पे हर्फ़-ए-ग़ज़ल दिल में क़िंदील-ए-ग़मअपना ग़म था गवाही तिरे हुस्न की
ये झीलों में हँसते हुए से कँवलये धरती पे मौसम की लिक्खी ग़ज़ल
ये गीत कभी के गाए हुएकुछ शेर पुरानी ग़ज़लों के
मैं शाख़-ए-ताक हूँ मेरी ग़ज़ल है मेरा समरमिरे समर से मय-ए-लाला-फ़ाम पैदा कर
ये मेरी ग़ज़लें ये मेरी नज़्मेंतमाम तेरी हिकायतें हैं
जिस गोरी पर हम एक ग़ज़ल हर शाम लिखेंतुम जानते हो हम क्यूँकर उस का नाम लिखें
जो लम्हों ही लम्हों में दुनिया बदल देजो शाइ'र को दे जाए पहलू ग़ज़ल के
मिरी फ़ितरत आईना-ए-रोज़गारग़ज़ालान-ए-अफ़्कार का मुर्ग़-ज़ार
आइए अर्ज़ गुज़ारें कि निगार-ए-हस्तीज़हर-ए-इमरोज़ में शीरीनी-ए-फ़र्दा भर दे
आज भी इस देस में आम है चश्म-ए-ग़ज़ालऔर निगाहों के तीर आज भी हैं दिल-नशीं
मुस्कुराते हुए चेहरे की ग़ज़ल ख़्वानी कातेरा हो जाने तिरे प्यार में खो जाने का
मैं कि मिरी ग़ज़ल में है आतिश-ए-रफ़्ता का सुराग़मेरी तमाम सरगुज़िश्त खोए हुओं की जुस्तुजू!
घनघोर घटाएँ छाती हैंक्या अब भी वहाँ की बरखाएँ
बेताब न हो मार्का-ए-बीम-ओ-रजा देख!हैं तेरे तसर्रुफ़ में ये बादल ये घटाएँ
छोड़ा दुनिया को भटकानागीत कबत और नज़्में ग़ज़लें
चमन में सर्व-ओ-सनोबर सँवर गए हैं तमामबनी बिसात-ए-ग़ज़ल जब डुबो लिए दिल ने
अपनी पायल की ग़ज़ल-ख़्वानी पे झल्लाती हुईनर्म शानों पे जवानी का नया बार लिए
इस लिए उन की ग़ज़ल छोटी पड़ रही हैज़मीन के लिहाज़ से नक़्क़ाद
फूलों का महकनाघनघोर घटाएँ
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