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नज़्म
वो गोया उस की ही इक पुर-नुमू डाली से निकली है
ये कड़वाहट की बातें हैं मिठास इन की न पूछो तुम
जौन एलिया
नज़्म
घोड़ा बन कर कौन चलेगा पीठ पे कौन बिठाएगा
घोड़ा बनना क्या मुश्किल है हम ख़ुद ही बन जाएँगे