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नज़्म
ऐ सकिनान मौज़ा-ए-जुगवूर अस्सलाम
दुनिया है आज तुम को हर इक बात का पयाम
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लखनवी
नज़्म
हर बात की खोज तो ठीक नहीं तुम हम को कहानी कहने दो
उस नार का नाम मक़ाम है क्या इस बात पे पर्दा रहने दो
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
है हक़ीक़त तो यही कहते हो तुम हाल जिसे
किया था कल तक नहीं आइंदा वक़्त का ही क़यास
आदित्य पंत नाक़िद
नज़्म
शाद आरफ़ी
नज़्म
आ के इस मुल्क में रिश्ते ही फ़क़त जोड़े हैं
बम तो क्या हम ने पटाख़े भी नहीं छोड़े हैं
खालिद इरफ़ान
नज़्म
मुझ को भी देनी है इक बार अनल-हक़ की सदा
ऐसा लगता है कि हर क़तरे में बरपा तुम हो