आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ho.ngii"
नज़्म के संबंधित परिणाम "ho.ngii"
नज़्म
मेरे सपने बुनती होंगी बैठी आग़ोश पराई में
और मैं सीने में ग़म ले कर दिन-रात मशक़्क़त करता हूँ
साहिर लुधियानवी
नज़्म
हुस्न हो जाएगा जब औरों का वक़्फ़-ए-ख़ास-ओ-आम
दीदनी होगा तिरे ख़ल्वत-कदे का एहतिमाम
जोश मलीहाबादी
नज़्म
अलीगढ़ के किसी फ़ंक्शन में गर तशरीफ़ ले जाएँ
जो फ़िक़्रे-ए-बाज़ियाँ होंगी न उन से आप घबराएँ
सय्यदा फ़रहत
नज़्म
मेरी महबूब उन्हें भी तो मोहब्बत होगी
जिन की सन्नाई ने बख़्शी है उसे शक्ल-ए-जमील