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नज़्म
क्यूँ ज़ियाँ-कार बनूँ सूद-फ़रामोश रहूँ
फ़िक्र-ए-फ़र्दा न करूँ महव-ए-ग़म-ए-दोश रहूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
दलील-ए-सुब्ह-ए-रौशन है सितारों की तुनुक-ताबी
उफ़ुक़ से आफ़्ताब उभरा गया दौर-ए-गिराँ-ख़्वाबी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हाँ ऐ मसाफ़-ए-हस्ती! मत पूछ मुझ से क्या हूँ
इक अर्सा-ए-बला हूँ इक लुक़मा-ए-फ़ना हूँ
ग़ुलाम भीक नैरंग
नज़्म
नहीं मालूम 'ज़रयून' अब तुम्हारी उम्र क्या होगी
वो किन ख़्वाबों से जाने आश्ना ना-आश्ना होगी
जौन एलिया
नज़्म
रहम ऐ नक़्क़ाद-ए-फ़न ये क्या सितम करता है तू
कोई नोक-ए-ख़ार से छूता है नब्ज़-ए-रंग-ओ-बू
जोश मलीहाबादी
नज़्म
किशवर-ए-मग़रिब अलम-बरदार-ए-तहज़ीब-ए-जदीद
आ दिखा दूँ मैं तुझे अनवार-ए-तहज़ीब-ए-जदीद
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
हो गईं वीरान इरफ़ान-ओ-यक़ीं की जन्नतें
ख़ुल्द-ए-ज़ार-हिन्द को दोज़ख़-निशाँ पाता हूँ मैं