इंसान की फ़रियाद
हाँ ऐ मसाफ़-ए-हस्ती! मत पूछ मुझ से क्या हूँ
इक अर्सा-ए-बला हूँ इक लुक़मा-ए-फ़ना हूँ
मजबूरियों ने डाला गर्दन में मेरी फंदा
ख़ुद-कर्दा-ए-वफ़ा हूँ जाँ-दादा-ए-रज़ा हूँ
सय्याद हादसे का करता है मेरा पीछा
मुर्ग़-ए-बुरीदा-पर हूँ सैद-ए-शिकस्ता-पा हूँ
है ज़ात मेरी मजमा' सारी बुराइयों का
कहने को मैं बड़ा हूँ लेकिन बहुत बुरा हूँ
आज़ादियों की मुझ पर तोहमत ही है सरासर
मैं क़ैदी-ए-हवस हूँ मैं बंदा-ए-हवा हूँ
इक बात हो बताऊँ इक दर्द हो सुनाऊँ
रोऊँ भला कहाँ तक कब तक पड़ा कराहूँ
कम-बख़्त दिल कुछ ऐसा मैं साथ ले के आया
इक लम्हा जिस के हाथों दुनिया में सुख न पाया
जो जोश इस में उट्ठा हालात ने दबाया
जो शो'ला इस में भड़का तक़दीर ने बुझाया
उम्मीद का ये ग़ुंचा खिलते कभी न देखा
ये आरज़ू का पौदा फलता नज़र न आया
गो इस में मौजज़न थी क़ौम ओ वतन की उल्फ़त
लेकिन ग़रज़ ने इस को कुछ और ही सिखाया
होती नहीं रसाई उम्मीद के उफ़ुक़ तक
तूल-ए-अमल ने इस को इक जाल में फँसाया
की रहबरी ख़िरद ने हर-चंद रहनुमाई
इस जुहद पर भी लेकिन खुलती नहीं सच्चाई
पाया न मैं ने अब तक मक़्सद का अपने साहिल
की बहर-ए-मा'रफ़त में दिन रात आश्नाई
इस जुस्तुजू में मैं ने की सैर-ए-तूर-ओ-ऐमन
पर्बत को घर बनाया जंगल से लौ लगाई
मंदिर को जा के देखा गिरजा में जा के ढूँडा
मस्जिद को छान मारा उस की न दीद पाई
जोगी का रूप धारा बन में किया गुज़ारा
तन पर भभूत मल कर धूनी बहुत रमाई
जप तप में उम्र अपनी मैं ने बसर की अक्सर
बन बन के पीर-ए-राहिब जा ख़ानक़ाह बसाई
सूफ़ी भी बन के देखा और रिंद-ए-बे-रिया भी
कर नारा-ए-अना-अल-हक़ इक खलबली मचाई
फिरती हैं मारी मारी मुश्ताक़-ए-जल्वा आँखें
पर इक झलक से बढ़ कर देता नहीं दिखाई
उठ जा नज़र से मेरी हाँ ऐ हिजाब-ए-हस्ती
हुस्न-ए-अज़ल निहाँ है ज़ेर-ए-नक़ाब-ए-हस्ती
ये ज़िंदगी-ए-इंसाँ इक ख़्वाब है परेशाँ
बेदारी-ए-अदम है ता'बीर-ए-ख़्वाब-ए-हस्ती
देखें अगर तो क्यूँ-कर हम जलवा-ए-मआरिफ़
तू ज़ुल्मत-ए-नज़र है ऐ आफ़्ताब-ए-हस्ती
तस्कीं को ज़हर-ए-क़ातिल आब-ओ-हवा-ए-आलम
राहत का दुश्मन-ए-जाँ हर इंक़लाब-ए-हस्ती
ऐ तिश्ना-ए-हक़ीक़त धोके में तू न आना
इक दाम-ए-पुर-ख़तर है मौज-ए-सराब-ए-हस्ती
चाहे अगर रिहाई पेश-अज़-फ़ना फ़ना हो
पादाश-ए-जुर्म-ए-हस्ती है ये अज़ाब-ए-हस्ती
- पुस्तक : Intekhabe Kalam (पृष्ठ 8)
- रचनाकार : Ghulam Bhek Nairang
- प्रकाशन : Oxford University Press Pakistan (2010)
- संस्करण : 2010
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.