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नज़्म
नानक का कबित बन जाती है मीरा का भजन बन जाता है
दिल दिल से जो हम आहंग हुए अतवार मिले अंदाज़ मिले
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
हुस्न-ए-फ़ितरत की अदा-फ़हमी के क़ाबिल बन गई
जब ज़बाँ की तेज़ नश्तर से रग-ए-दिल बन गई
सफ़ी लखनवी
नज़्म
इकराम बसरा
नज़्म
और हम क़िस्सा-ए-पारीना भी बनने के ना-क़ाबिल होंगे
यही बेहतर है आँख से ख़्वाब खुरच डालें सभी