आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "khair"
नज़्म के संबंधित परिणाम "khair"
नज़्म
देखता है तू फ़क़त साहिल से रज़्म-ए-ख़ैर-ओ-शर
कौन तूफ़ाँ के तमांचे खा रहा है मैं कि तू
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अब टूट गिरेंगी ज़ंजीरें अब ज़िंदानों की ख़ैर नहीं
जो दरिया झूम के उट्ठे हैं तिनकों से न टाले जाएँगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
न रह अपनों से बे-परवा इसी में ख़ैर है तेरी
अगर मंज़ूर है दुनिया में ओ बेगाना-ख़ू रहना
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ कब तक रह दिखलाओगे
कब तक चैन की मोहलत दोगे कब तक याद न आओगे