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नज़्म
हमारी ख़्वाहिश-ए-तकरार की देरीना आदत से
वो मअ'बद-साज़ बुत-गर अपनी हस्ती के तक़द्दुस में
आफ़ताब इक़बाल शमीम
नज़्म
'आफ़्ताब' आज फँसा जाता है फिर ताइर-ए-दिल
हाए अफ़्सोस कि सय्याद का जाल अच्छा है
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
'आफ़्ताब' आ कि मुसीबत के हैं आसार अयाँ
जोश-ए-वहशत है फ़ुज़ूँ और भी दीवाने में
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
न क्यूँ ऐ 'आफ़्ताब' आए नज़र उम्मीद की सूरत
कि जब तकलीफ़ में राहत के सामाँ देख लेता हूँ
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
'आफ़्ताब' उन की समझता हूँ हयात-ए-अबदी
जो बशर धर्म पे सौ-जान से क़ुर्बां होंगे
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
खुली फ़ज़ा की धूप वो कि जिस्म साँवले करे
बुतान-ए-आज़री कि मस्त-ए-ग़ुस्ल-ए-आफ़्ताब थे
अहमद फ़राज़
नज़्म
ख़ोशा-ए-पर्वीं कि है शादाब-ए-ख़ून-ए-आफ़्ताब
पानियों में लहलहाता है अजब अंदाज़ से
तसद्द्क़ हुसैन ख़ालिद
नज़्म
ख़्वाहिश-ए-साया-ए-गेसू-ए-परेशाँ ही नहीं
जन्नत-ए-आरिज़-ओ-लब की भी तमन्ना न करूँ