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नज़्म
उरूक़-मुर्दा-ए-मशरिक़ में ख़ून-ए-ज़िंदगी दौड़ा
समझ सकते नहीं इस राज़ को सीना ओ फ़ाराबी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ख़ाक-ओ-ख़ूँ में मिल रहा है तुर्कमान-ए-सख़्त-कोश
आग है औलाद-ए-इब्राहीम है नमरूद है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कभी हम-सिन हसीनों में बहुत ख़ुश-काम ओ दिल-रफ़्ता
कभी पेचाँ बगूला साँ कभी ज्यूँ चश्म-ए-ख़ूँ-बस्ता
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
ख़ून-ए-दिल ओ जिगर से है मेरी नवा की परवरिश
है रग-ए-साज़ में रवाँ साहिब-ए-साज़ का लहू!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तुम्हारे ज़ख़्मों को भर दे ऐसी दवा नहीं है
मगर हम ऐसे ख़ुदा-परस्तों की दस्तरस में दु'आ-ए-कुन है
अरसलान अब्बास
नज़्म
क्यूँ ज़ियाँ-कार बनूँ सूद-फ़रामोश रहूँ
फ़िक्र-ए-फ़र्दा न करूँ महव-ए-ग़म-ए-दोश रहूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तुझ पे उट्ठी हैं वो खोई हुई साहिर आँखें
तुझ को मालूम है क्यूँ उम्र गँवा दी हम ने
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
सुब्ह-ए-अज़ल जो हुस्न हुआ दिलस्तान-ए-इश्क़
आवाज़-ए-कुन हुई तपिश आमोज़-ए-जान-ए-इश्क़
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
याँ तो एक उम्र इसी तरह से जलते गुज़री
कौन सी ख़ाक है ये जाने कहाँ का है ख़मीर