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नज़्म
तो दिल ताब-ए-नशात-ए-बज़्म-ए-इशरत ला नहीं सकता
मैं चाहूँ भी तो ख़्वाब-आवर तराने गा नहीं सकता
साहिर लुधियानवी
नज़्म
अर्श मलसियानी
नज़्म
यही मिरी ख़्वाब-गाह-ए-इशरत यही है मेरा निगार-ख़ाना
धुएँ की रंगीन बदलियों में पका रही है जहाँ वो खाना
क़ाज़ी गुलाम मोहम्मद
नज़्म
वक़्त थोड़ा है बहुत काम है करना बाक़ी
दे न मुझ को तू नवेद-ए-शब-ए-‘इशरत ऐ दोस्त
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
नज़्म
मुझे शिकवा नहीं उफ़्तादगान-ए-ऐश-ओ-इशरत से
वो जिन को मेरे हाल-ए-ज़ार पर अक्सर हँसी आई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
फ़ज़ा-ए-दहर लबरेज़-ए-मसर्रत है तो मुझ को क्या
अगर दुनिया ख़राब-ए-ऐश-ओ-इशरत है तो मुझ को क्या
मोहम्मद सादिक़ ज़िया
नज़्म
वो जश्न-ए-ऐश-ओ-राहत वो साज़-ए-लुत्फ़-ओ-इशरत
आँखों में फिर रहे हैं अब तक वही ज़माने
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
बे-नियाज़-ए-'ऐश-ओ-'इशरत आश्ना-ए-दर्द-ओ-ग़म
एक मुश्त-ए-उस्तुख़्वाँ आशुफ़्ता-रौ बा-चश्म-ए-तर