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नज़्म
मुझे तेरे तसव्वुर से ख़ुशी महसूस होती है
दिल-ए-मुर्दा में भी कुछ ज़िंदगी महसूस होती है
कँवल एम ए
नज़्म
गुल करो शमएँ बढ़ा दो मय ओ मीना ओ अयाग़
अपने बे-ख़्वाब किवाड़ों को मुक़फ़्फ़ल कर लो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
देखिए देते हैं किस किस को सदा मेरे बाद
'कौन होता है हरीफ़-ए-मय-ए-मर्द-अफ़गन-ए-इश्क़'
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
औज-ए-अफ़्लाक पे है माँग की अफ़्शाँ की दमक
शीशा-ए-मह से छलक कर मय-ए-तुंद-ओ-बे-दर्द
मुख़्तार सिद्दीक़ी
नज़्म
कौन होता है हरीफ़-ए-मय-ए-मर्द-अफ़्गन-ए-इल्म
किस के सर जाएगा अब बार-ए-गिरान-ए-उर्दू
मसऊद हुसैन ख़ां
नज़्म
निगाह-ए-मस्त से उस की बहक जाती थी कुल वादी
हवाएँ पर-फ़िशाँ रूह-ए-मय-ओ-मय-ख़ाना रहती थी
अख़्तर शीरानी
नज़्म
सर ले के हथेली पर उभरी थी जो दुनिया में
उस क़ौम को ले डूबा शुग़्ल-ए-मै-ओ-मय-ख़ाना
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
मता-ए-सोज़-ओ-साज़-ए-ज़िंदगी पैमाना ओ बरबत
मैं ख़ुद को इन खिलौनों से भी अब बहला नहीं सकता
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
लब पर है तल्ख़ी-ए-मय-ए-अय्याम वर्ना 'फ़ैज़'
हम तल्ख़ी-ए-कलाम पे माइल ज़रा न थे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ये जल्वे पैकर-ए-शब-ताब के ये बज़्म-ए-शोहूद
ये मस्तियाँ कि मय-ए-साफ़-ओ-दुर्द सब बे-बूद