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नज़्म
रहे न मुसहफ़-ए-हस्ती कुदूरतों से ग़लीज़
मताअ'-ए-फ़े'ल-ओ-सुख़न लग़्ज़िशों से पाक रहे
राम प्रकाश राही
नज़्म
मैं उस को देखूँ तो जागे शुऊ'र-ए-ख़्वाबीदा
मैं उस को सोचूँ तो फूटे उफ़ुक़ पे सुब्ह की पौ
मुस्लिम शमीम
नज़्म
बज़्म-ए-मातम तो नहीं बज़्म-ए-सुख़न है 'हाली'
याँ मुनासिब नहीं रो रो के रुलाना हरगिज़
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
बज़्म-ए-मातम तो नहीं बज़्म-ए-सुख़न है 'हाली'
याँ मुनासिब नहीं रो रो के रुलाना हरगिज़
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
नहीं मालूम 'ज़रयून' अब तुम्हारी उम्र क्या होगी
वो किन ख़्वाबों से जाने आश्ना ना-आश्ना होगी
जौन एलिया
नज़्म
ज़माने की हवा बदली उधर रंग-ए-चमन बदला
गुलों ने जब रविश बदली अनादिल ने वतन बदला
सय्यद तसलीम हैदर क़मर
नज़्म
सुब्ह फ़र्ग़ाना में थी और हुई रंगों में शाम
आल-ए-तैमूर की आशुफ़्ता-सरी तुझ को सलाम
अर्श मलसियानी
नज़्म
शाहिद-ए-बज़्म-ए-सुख़न नाज़ूरा-ए-मअ'नी-तराज़
ऐ ख़ुदा-ए-रेख़्ता पैग़मबर-ए-सोज़-अो-गुदाज़