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नज़्म
मुझे तेरे तसव्वुर से ख़ुशी महसूस होती है
दिल-ए-मुर्दा में भी कुछ ज़िंदगी महसूस होती है
कँवल एम ए
नज़्म
मेरी दुनिया मिरे ख़्वाबों की सुनहरी दुनिया
नौहा-ए-ग़म थी मसर्रत का तराना तो न थी
नरेश कुमार शाद
नज़्म
मता-ए-सोज़-ओ-साज़-ए-ज़िंदगी पैमाना ओ बरबत
मैं ख़ुद को इन खिलौनों से भी अब बहला नहीं सकता
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
उन के दम से था चमन ये ख़ार-ज़ार-ए-ज़िंदगी
था नफ़स उन का नसीम-ए-ख़ुश-गवार-ए-ज़िंदगी
तिलोकचंद महरूम
नज़्म
राज़दान-ए-ज़िंदगी ऐ तर्जुमान-ए-ज़िंदगी
है तिरा हर लफ़्ज़ ज़िंदा दास्तान-ए-ज़िंदगी