aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "qaatil-e-be-rahm"
और ऐसा क़ातिल-ए-बे-चेहरा जिस को सदियों सेज़माना ढूँड रहा है
इस लिएरौशनी की इस अंगुश्त-ए-बे-रहम का
ये बे-रहम चोटों ख़सारों की दुनियाये काग़ज़ के झूटे सहारों की दुनिया
ऐ मिरे बे-रहमअब ठहर जा ज़रा
रात आई है हज़ारों दुख लिएवक़्त के बे-रहम क़दमों के तले
एक साथी भी तह-ए-ख़ाक यहाँ सोती हैअरसा-ए-दहर की बे-रहम कशाकश का शिकार
मुझे बे-रहम हस्ती के ज़ियाँ-ख़ाने में क्यूँ भेजा गयाक्यूँ हल्क़ा-ए-ज़ंजीर में रख दी गईं बे-ताबियाँ मेरी
क़ातिल ओ बिस्मिल भी इश्क़बहर-ए-बे-पायाँ है इश्क़
ये दस्त-ए-बे-ज़रर मेंख़ंजर-ए-क़ातिल उगाता है
नक़्श गर लम्हों की हर तहरीरदस्त-ए-बे-निशाँ के लम्स क़ातिल का फ़साना बन गई
दाद ख़्वाह बनना भी फ़े'ल-ए-बे-फ़ज़ीलत हैदाद सम्म-ए-क़ातिल है मरना किस को भाता है
दाद-ख़्वाह बनना भी फ़े'ल-ए-बे-फ़ज़ीलत हैदाद सम्म-ए-क़ातिल है मरना किस को भाता है
ऐ जहाँ-ज़ाद,नशात उस शब-ए-बे-राह-रवी की
दुनिया-ए-रंग-ओ-बू से मोहब्बत नहीं रहीअब गुल-रुख़ान-ए-दहर की चाहत नहीं रही
रहम-ए-मादर से निकलना मिरा बे-सूद हुआआज भी क़ैद हूँ मैं
वो किसी ज़नख़े या हिजड़े से ज़ियादा क़ाबिल-ए-रहम होंगीसो हमें मत दिखाओ ये हसब-नसब
क्या यही ज़िंदगी है कि हमअपने होने की ख़ुशियाँ मनाते रहें
ये कह रहा है दिल-ए-बे-क़रार तेज़ चलोबहुत उदास हैं ज़ंजीर ओ दार तेज़ चलो
सरमा की बे-रहम फ़ज़ा मेंसुर्ख़ लहू ने बहते बहते
कुल्फ़तों से तंग आ कर बे-ख़ुदी की खोज मेंक़ाफ़िले इस राह पर आते रहें जाते रहें
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