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नज़्म
ऐ दिल-ए-ग़म-गीं न कह ये ज़िंदगी इक ख़्वाब है
ज़िंदगी है इक हक़ीक़त गौहर-ए-नायाब है
साबिर अबुहरी
नज़्म
जहाँ में ग़म भी है रौशन-तरीं सितारों में
दिखाता राह है ज़ुल्मत के ख़ारज़ारों में
जयकृष्ण चौधरी हबीब
नज़्म
ओ चमन की अजनबी चिड़िया! कहाँ थी आह! तू
क्या किसी सहरा के दामन में निहाँ थी आह! तू
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
क्यूँ ज़ियाँ-कार बनूँ सूद-फ़रामोश रहूँ
फ़िक्र-ए-फ़र्दा न करूँ महव-ए-ग़म-ए-दोश रहूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ऐ मिरे शेर के नक़्क़ाद तुझे है ये गिला
कि नहीं है मिरे एहसास में सरमस्ती ओ कैफ़
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
मैं ने हर चंद ग़म-ए-इश्क़ को खोना चाहा
ग़म-ए-उल्फ़त ग़म-ए-दुनिया में समोना चाहा