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नज़्म
फ़िरदौस-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ है दामान-ए-लखनऊ
आँखों में बस रहे हैं ग़ज़ालान-ए-लखनऊ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
जल्वा-ए-हुस्न-ए-अज़ल आए तसव्वुर में अगर
गोशा-ए-दिल में मचलते हुए अरमाँ होंगे
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
मिरी नज़र की ये तक़्दीस-ए-अर्श-ओ-फ़र्श न हो
मैं एक हुस्न-ए-नज़र हूँ मैं एक हुस्न-ए-अज़ल
दौर आफ़रीदी
नज़्म
ऐ सती ऐ जल्वा-गाह-ए-शोला-ए-तनवीर-ए-हुस्न
पाक-दामानी का नक़्शा है तिरी तस्वीर-ए-हुस्न
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
जसारत ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा की पैदा कर निगाहों में
नुमूद-ए-हुस्न के अनवार पैमानों में रहते हैं
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
ख़ुलूस-ए-दिल से मैं उस को अक़ीदत पेश करता हूँ
मिरे पेश-ए-नज़र अब तक मिज़ाज-ए-हुक्मरानी है
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
फ़क़त फूलों की ख़ुश-रंगी से ऐ 'तकमील' क्या हासिल
जो दुनिया को बसाना है तो निकहत की ज़रूरत है
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
फ़क़त फूलों की ख़ुश-रंगी से ऐ 'तकमील' क्या हासिल
जो दुनिया को बसाना है तो निकहत की ज़रूरत है
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
क़ाफ़िले वालों को मंज़िल का पता मिल जाएगा
जबकि ऐ 'तकमील' नेहरू हैं अमीर-ए-कारवाँ