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नज़्म
मुश्किल हुई है वाँ से हर इक को राह चलनी
फिसला जो पाँव पगड़ी मुश्किल है फिर संभलनी
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
पैग़ाम-ए-अजल लाई अपने उस सब से बड़े मोहसिन के लिए
ऐ वाए-तुलू-ए-आज़ादी आज़ाद हुए उस दिन के लिए
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
उम्मतें और भी हैं उन में गुनहगार भी हैं
इज्ज़ वाले भी हैं मस्त-ए-मय-ए-पिंदार भी हैं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ज़माने में जिसे हो साहिब-ए-फ़तह-ओ-ज़फ़र होना
ज़रूरी है उसे इल्म-ओ-हुनर से बहरा-वर होना
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
मुंतज़िर है एक तूफ़ान-ए-बला मेरे लिए
अब भी जाने कितने दरवाज़े हैं वा मेरे लिए
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
कल और आएँगे नग़्मों की खिलती कलियाँ चुनने वाले
मुझ से बेहतर कहने वाले तुम से बेहतर सुनने वाले
साहिर लुधियानवी
नज़्म
वो है ताबीर का अफ़्लास जो ठहरा है फ़न मेरा
सुख़न यानी लबों का फ़न सुख़न-वर यानी इक पुर-फ़न
जौन एलिया
नज़्म
मेरे वादों से डरो मेरी मोहब्बत से डरो
अब मैं अल्ताफ़ ओ इनायत का सज़ा-वार नहीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा