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रद करें डाउनलोड शेर

हिज्र पर कही गई 5 बेहतरीन नज़्में

हिज्र मुहब्बत के सफ़र

का वो मोड़ है, जहाँ आशिक़ को एक दर्द एक अथाह समंदर की तरह लगता है | शायर इस दर्द को और ज़ियादः महसूस करते हैं और जब ये दर्द हद से ज़ियादा बढ़ जाता है, तो वह अपनी तख्लीक़ के ज़रिए इसे समेटने की कोशिश करता है | यहाँ दी जाने वाली पाँच नज़्में उसी दर्द की परछाईं है |

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हिज्र की राख और विसाल के फूल

आज फिर दर्द-ओ-ग़म के धागे में

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हिज्र के पर भीग जाएँ

कहाँ तक ख़ेमा-ए-दिल में छुपाएँ

नोशी गिलानी

मौसम-ए-हिज्र में

तुम्हारी आँख भी हर रोज़ काजल से सँवरती है

शहराम सर्मदी

अज़ाब-ए-हिज्र

ये तेरे हिज्र की आँधी

क़ैसर ज़िया क़ैसर

निस्फ़ हिज्र के दयार से

हवा के हाथों में हाथ दे कर

सईद अहमद

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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