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होली पर नज़ीर की 9 नज़्में

शायरी नज़ीर अकबराबादी

के लिए जीवन जीने का एक तरीका था। उन्होंने धार्मिक विश्वासों की उदार समझ विकसित की और रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों, सामाजिक तौर-तरीकों और शिष्टाचार पर विस्तार से लिखा। हमने आपके लिए होली पर उनकी बहुचर्चित नज़्मों का चयन किया है।

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होली

आ धमके ऐश ओ तरब क्या क्या जब हुस्न दिखाया होली ने

नज़ीर अकबराबादी

होली

कहीं पड़े न मोहब्बत की मार होली में

नज़ीर बनारसी

होली

फिर आन के इशरत का मचा ढंग ज़मीं पर

नज़ीर अकबराबादी

होली

जुदा न हम से हो ऐ ख़ुश-जमाल होली में

नज़ीर अकबराबादी

होली

मियाँ तू हम से न रख कुछ ग़ुबार होली में

नज़ीर अकबराबादी

होली

मिलने का तिरे रखते हैं हम ध्यान इधर देख

नज़ीर अकबराबादी

होली

जब आई होली रंग-भरी सौ नाज़-ओ-अदा से मटक मटक

नज़ीर अकबराबादी

होली

हुआ जो आ के निशाँ आश्कार होली का

नज़ीर अकबराबादी

होली

क़ातिल जो मेरा ओढ़े इक सुर्ख़ शाल आया

नज़ीर अकबराबादी

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