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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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तरक़्क़ीपसंद तहरीक के चंद शायरों की ग़ज़लें

तरक़्क़ीपसंद का दौर वो

दौर था, जब सारे अदीब- शायर हमारे समाज को बेहतर बनाने की कोशिश में नग़मे बुन रहे थे | यहाँ उस समय के चंद शायर की चंद ग़ज़लें दी जा रही हैं |

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