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सुन के सिफ़त हम से ख़राबात की

मीर तक़ी मीर

सुन के सिफ़त हम से ख़राबात की

मीर तक़ी मीर

MORE BYमीर तक़ी मीर

    सुन के सिफ़त हम से ख़राबात की

    अक़्ल गई ज़ाहिद-ए-बद-ज़ात की

    जी में हमारे भी था पीवें शराब

    पीर-ए-मुग़ाँ तू ने करामात की

    कोई रमक़-ए-जान थी तन में मिरे

    सो भी तिरे ग़म की मुदारात की

    याद में तुझ ज़ुल्फ़ की गिर्या से शोख़

    रोज़ मिरा रात है बरसात की

    स्रोत :
    • पुस्तक : मीरियात - दीवान नंo- 1, ग़ज़ल नंo- 0624

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