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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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वबा की नज़्में

वबा अर्थात् महामारी

की स्थितियों का वर्णन करती नज़्में

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ला-तहज़नू

वबा-ए-आम से मरने का ख़ौफ़ अपनी जगह

रहमान फ़ारिस

वबा के दिनों में मोहब्बत

वबा के दिनों में मोहब्बत सलीक़ा-शिआरी सिखाती है

ख़ुमार मीरज़ादा

वबा के दिनों में

ज़मीन गूँगी हो रही है

अज्ञात

वबा के दिनों में मौत की रीहरसल

तन्हाई के जूते पहने

सिदरा सहर इमरान

मैं अगर क्रोना से मारा गया

वबा के दिनों में मोहब्बत करने वाले लोग

अली साहिल

एक नादान नज़्म

हबीब-ए-जाँ

परवीन ताहिर
बोलिए