जब ग़ज़ल को आवाज़ मिली: जगजीत सिंह × मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ालिब के क़लाम में
जो फ़िक्री गहराई और जज़्बात की शिद्दत है, जगजीत सिंह ने उन्हें अपनी आवाज़ देकर ऐसी फ़ज़ा क़ायम की है कि कलाम और आवाज़ के संगम में श्रोता खो सा जाए। इस चयन में ग़ालिब की वे ग़ज़लें शामिल हैं जिन्हें जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ दी है। आइए जानते हैं, ग़ालिब की वे कौन-सी ग़ज़लें हैं जिन्हें जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ से सजाया है।