जंग पर उद्धरण

मुर्ग़ की आवाज़ उसकी जसामत से कम-अज़-कम सौ गुना ज़्यादा होती है। मेरा ख़्याल है कि अगर घोड़े की आवाज़ इसी मुनासिबत से होती तो तारीख़ी जंगों में तोप चलाने की ज़रूरत पेश आती।

मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी

मुझे अम्न से मुहब्बत है, मुझे जंग से नफ़रत है, मगर मुझे उस जंग से भी अम्न की तरह मुहब्बत है जो इन्सान अपनी आज़ादी, अपनी इज़्ज़त और मुल्क की बक़ा के लिए लड़ता है।

ख़दीजा मस्तूर

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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