लोकतंत्र पर कहानियाँ

वह सियासी निज़ाम जिसमें

सत्ता की बागडोर अवाम के हाथों में हो जम्हूरियत है। अपनी बेशुमार ख़ूबियों के सबब लोकतंत्र को पसंद करने वालों की तादाद बहुत ज़ियादा है। इसे नापसंद करने वालों के अपने तर्क हैं। शायर भी हमारे समाज का सोचने वाला फ़र्द होने के नाते जम्हूरियत के बारे में अपनी राय ज़ाहिर करता रहा है। पेश है जम्हूरियत शायरी में ऐसे ही ख़यालात का शायराना इज़हारः

रिश्वत

एक नौजवान के ज़िंदगी के तल्ख़ तज़ुर्बों पर आधारित कहानी है। जब उसने बी. ए पास किया तो उसके बाप का इरादा था कि वह उसे उच्च शिक्षा के लिए विलायत भेजेगा। इसी बीच उसके बाप को जुए की लत लग गई और वह सब कुछ जुए में हारकर मर गया। नौजवान ख़ाली हाथ दुनिया से संघर्ष करने लगा। वह जहाँ भी नौकरी के लिए जाता, हर जगह उससे रिश्वत माँगी जाती। आख़िर में परेशान हो कर उसने अल्लाह को एक ख़त लिखा और उस ख़त के साथ रिश्वत के तौर पर वे तीस रूपये भी डाल दिए जो उसने मज़दूरी कर के कमाए थे। उसका यह ख़त एक अख़बार के एडिटर के पास पहुँच जाता है, जहाँ से उसे दो सौ रूपये माहवार की तनख़्वाह पर नौकरी के लिए बुलावा आ जाता है।

सआदत हसन मंटो

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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