फ़ासले
एक ऐसे बूढ़े शख़्स की कहानी जो रिटायरमेंट के बाद घर में तन्हा रहते हुए बोर हो गया है और सुकून की तलाश में है। एक दिन वह घर से बाहर निकला तो गली में खेलते बच्चों को देख कर और सामान बेचते दुकानदारों से बात करना उसे अच्छा लगा। इस तरह वह वहाँ रोज़ आने लगा और अपना वक़्त गुज़ारने लगा। एक दिन इंग्लैंड से वापस आया उसका बेटा उसे अपने साथ ले जाता है। काफ़ी वक़्त के बाद जब वह वापस आता है और फिर से अपनी उस गली में निकलता है तो उसे एहसास होता है कि उसके लिए लोगों के मिज़ाज में तब्दीली आ गई है, शायद वह उनके लिए एक अजनबी बन चुका था।
मिर्ज़ा अदीब
गूँगी मुहब्बत
एक गूंगी लड़की की गूंगी मोहब्बत की कहानी। ज्योति आर्ट की शौक़ीन इंदिरा की ख़ादिमा है। एक आर्ट की नुमाइश के दौरान इंदिरा की मुलाकात मोहन से होती है और वह दोनों शादी कर लेते हैं। एक रोज़ जब इंदिरा को पता चलता है कि उसकी ख़ादिमा ज्योति भी मोहन से मोहब्बत करती है तो वह उसे छोड़कर चली जाती है।
मिर्ज़ा अदीब
एक ख़त
यह कहानी लेखक के व्यक्तिगत जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाओं को बयान करती है। एक दोस्त के ख़त के जवाब में लिखे गए उस पत्र में लेखक ने अपने व्यक्तिगत जीवन के कई राज़ों से पर्दा उठाया है। साथ ही अपनी उस नाकाम मोहब्बत का भी ज़िक्र किया है जो उसे कश्मीर प्रवास के दौरान वज़ीर नाम की लड़की से हो गई थी।
सआदत हसन मंटो
ख़ानदानी कुर्सी
एक ऐसे शख़्स की कहानी जो उन्नीस बरस बाद अपने घर वापस लौटता है। इतने अर्से में उसका गाँव एक क़स्बे में बदल गया है और जो लोग उसके खेतों में काम किया करते थे अब उनकी भी ज़िंदगी बदल गई है और ख़ुशहाल हैं। हवेली में घूमता हुआ वह अपने पुराने कमरे में गया तो उसे वहाँ एक कुर्सी मिली जो किसी ज़माने में ख़ानदान की शान हुआ करती थी, अब कबाड़ के ढ़ेर में पड़ी थी। कुर्सी की ये हालत और ख़ानदान की पुरानी यादें उसे इस हाल में ले आती हैं कि वो कुर्सी से लिपटा हुआ अपनी आख़िरी साँसें लेने लगता है।
मिर्ज़ा अदीब
ये ग़ाज़ी ये तेरे पुर-अस्रार बन्दे
यह कहानी पश्चिमी जर्मनी में जा रही एक ट्रेन से शुरू होती है। ट्रेन में पाँच लोग सफ़र कर रहे हैं। उनमें एक ब्रिटिश प्रोफे़सर है और उसके साथ उसकी बेटी है। साथ में एक कनाडाई लड़की और एक ईरानी प्रोफेसर हैं। शुरू में सब ख़ामोश बैठे रहते हैं। फिर धीरे-धीरे आपस में बातचीत करने लगता है। बातचीत के दौरान ही कनाडाई लड़की ईरानी प्रोफे़सर को पसंद करने लगती है। ट्रेन का सफ़र ख़त्म होने के बाद भी वे मिलते रहते हैं और अपने ख़ानदानी शजरों की उधेड़-बुन में लगे रहते हैं। उसी उधेड़-बुन में वे एक-दूसरे के क़रीब आते हैं और एक ऐसे रिश्ते में बंध जाते हैं जिसे कोई नाम नहीं दिया जाता। चारों तरफ जंग का माहौल है। ईरान में आंदोलन हो रहे हैं। इसी बीच एक दिन एयरपोर्ट पर धमाका होता है। उस बम-धमाके में ईरानी प्रोफे़सर और उसके साथी मारे जाते हैं। उस हादसे का कनाडाई लड़की पर जो असर पड़ता है वही इस कहानी का निष्कर्ष है।