मुझे मेरे दोस्तों से बचाओ
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी, जो अपने दोस्तों से ख़ुद को बचाने की अपील करता है। उसके बहुत से दोस्त हैं। सारा दिन कोई न कोई उससे मिलने आता रहता है, जिसकी वजह से वह कुछ काम नहीं कर पाता है। दोस्तों के इस आने-जाने से तंग आकर वह उनसे ख़ुद को बचाए जाने की अपील करता है।
सज्जाद हैदर यलदरम
हाफ़िज़ हुसैन दीन
यह तंत्र-मंत्र के सहारे लोगों को ठगने वाले एक ढोंगी पीर की कहानी है। हाफ़िज़ हुसैन दीन आँखों से अंधा था और ज़फ़र शाह के यहाँ आया हुआ था। ज़फ़र से उसका सम्बंध एक जानने वाले के ज़रिए हुआ था। ज़फ़र पीर-औलिया पर बहुत यक़ीन रखता था। इसी वजह से हुसैन दीन ने उसे आर्थिक रूप से ख़ूब लूटा और आख़िर में उसकी मंगेतर को ही लेकर भाग गया।
सआदत हसन मंटो
तीन में ना तेरह में
यह कहानी पति-पत्नी के बीच होने वाली तकरार पर आधारित है। पत्नी अपने पति से नाराज़़ है और उसके साथ झगड़ा करते हुए वह मुहावरों का इस्तेमाल करती है। पति उसके हर मुहावरे का जवाब देता है और वे दोनों झगड़ते हुए औरत-मर्द के संबंध, शादी और घरेलू ज़रूरियात के बारे में बड़ी दिलचस्प गुफ़्तगू करते जाते हैं।
सआदत हसन मंटो
फाहा
इसमें जवानी के आरम्भ में होने वाली शारीरिक परिवर्तनों से बे-ख़बर एक लड़की की कहानी बयान की गई है। आम खाने से गोपाल के फोड़ा निकल आता है तो वो अपने माँ-बाप से छुप कर अपनी बहन निर्मला की मदद से फोड़े पर फाहा रखता है। निर्मला इस पूरी प्रक्रिया को बहुत ध्यान और दिलचस्पी से देखती है और गोपाल के जाने के बाद अपने सीने पर फाहा रखती है।
सआदत हसन मंटो
माँ का दिल
कहानी एक फ़िल्म के एक सीन की शूटिंग के गिर्द घूमती है, जिसमें हीरो को एक बच्चे को गोद में लेकर डायलॉग बोलना होता है। स्टूडियों में जितने भी बच्चे लाए जाते हैं हीरो किसी न किसी वजह से उनके साथ काम करने से मना कर देता है। फिर बाहर झाड़ू लगा रही स्टूडियों की भंगन को उसका बच्चा लाने के लिए कहा जाता है, जो कई दिन से बुख़ार में तप रहा होता है। पैसे न होने के कारण वह उसे अच्छी डॉक्टर को भी नहीं दिखा पाती। हीरो बच्चे के साथ सीन शूट करा देता है। मगर जब भंगन स्टूडियों से पैसे लेकर उसे डॉक्टर के पास लेकर जाती है तब तक बच्चा मर चुका होता है।
ख़्वाजा अहमद अब्बास
रुमूज़-ए-ख़ामोशी
मैं चार बजे की गाड़ी से घर वापिस आ रहा था। दस बजे की गाड़ी से एक जगह गया था और चूँकि उसी रोज़ वापिस आना था लिहाज़ा मेरे पास अस्बाब वग़ैरा कुछ ना था। सिर्फ एक स्टेशन रह गया था। गाड़ी रुकी तो मैंने देखा कि एक साहिब सैकिण्ड क्लास के डिब्बे से उतरे। उनका क़द्द-ए-बला
मिर्ज़ा अज़ीम बेग़ चुग़ताई
ये परी चेहरा लोग
हर इंसान अपने स्वभाव और चरित्र से जाना जाता है। सख़्त मिज़ाज बेगम बिल्क़ीस तुराब अली एक दिन माली से बाग़ीचे की सफ़ाई करवा रही थी कि वह मेहतरानी और उसकी बेटी की बातचीत सुन लेती है। बातचीत में माँ-बेटी बेगमों के असल नाम न लेकर उन्हें तरह-तरह के नामों से बुलाती हैं। यह सुनकर बिल्क़ीस बानो उन दोनों को अपने पास बुलाती हैं। वह उन सब नामों के असली नाम पूछती है और जानना चाहती हैं कि उन्होंने उसका नाम क्या रखा है? मेहतरानी उसके सामने तो मना कर देती है लेकिन उसने बेगम बिल्कीस का जो नाम रखा होता है वह अपने शौहर के सामने ले देती है।
ग़ुलाम अब्बास
ढारस
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी है जिसे शराब पीने के बाद औरत की ज़रूरत होती है। उस दिन वह अपने एक हिंदू दोस्त की बारात में गया हुआ था। वहाँ भी पीने-पिलाने का दौर चला। किसी ने भी उसकी इस आदत को अहमियत नहीं दी। वह पीने के बाद छत पर चला गया। वहाँ वह अंधेरे में लेटी एक अनजान लड़की के साथ जाकर सो गया। बाद में पता चला कि वह दुल्हन की विधवा बहन थी। उसकी इस हरकत पर वह लगातार रो रही थी। लोगों के समझाने-बुझाने पर वह मान जाती है और किसी से कुछ नहीं कहती।
सआदत हसन मंटो
फूलों की साज़िश
विभिन्न हीलों और बहानों से एकता व अखंडता को तोड़ने वाले तत्वों को अलंकारिक प्रतिमान के रूप में रेखांकित किया गया है। एक दिन गुलाब माली के विरुद्ध प्रतिरोध की आवाज़ उठाता है और सारे फूलों को अपनी आज़ादी और अधिकारों की तरफ़ ध्यानाकर्षित करता है लेकिन चमेली अपनी नर्म और कोमल बातों से गुलाब को अपनी तरफ़ आकर्षित करके असल उद्देश्य से ध्यान भटका देती है। सुबह माली आकर दोनों को तोड़ लेता है।
सआदत हसन मंटो
चिड़िया चिड़े की कहानी
एक चिड़िया और चिड़े की मार्फ़त यह कहानी इंसानी समाज में मर्द और औरत के रिश्तों के बारे में बात करती है। चिड़ा अपने हिस्से की कहानी सुनाता हुआ कहता है कि मर्द कभी भी एक जगह टिक कर नहीं रहता। वह एक के बाद दूसरी औरत के पास भटकता रहता है। वहीं चिड़िया समाज में औरत की हालत को बयान करती है।
सज्जाद हैदर यलदरम
दूदा पहलवान
एक नौकर की अपने मालिक के प्रति वफ़ादारी इस कहानी का विषय है। सलाहू ने अपने लकड़पन के समय से ही दूदे पहलवान को अपने साथ रख लिया था। बाप की मौत के बाद सलाहू खुल गया था और हीरा मंडी की तवायफ़ों के बीच अपनी ज़िंदगी गुज़ारने लगा था। एक तवायफ़ की बेटी पर वह ऐसा आशिक़ हुआ कि उसका दिवाला ही निकल गया। घर को कुर्क होने से बचाने के लिए उसे बीस हज़ार रूपयों की ज़रूरत थी, जो उसे कहीं से न मिले। आख़िर में दूदे पहलवान ने ही अपना आत्म-सम्मान बेचकर उसके लिए पैसों का इंतेज़ाम किया।
सआदत हसन मंटो
वो तरीक़ा तो बता दो तुम्हें चाहें क्यूँकर?
यह नौजवान मोहब्बत की कहानी है। एक नौजवान एक लड़की से बेहद मोहब्बत करता है लेकिन लड़की उसके मोहब्बत के इज़हार के हर ढंग को दक़ियानूसी, पुराना और बोर कहती रहती है। फिर एकाएक जब नौजवान उसे धमकी देता हुआ अपनी मोहब्बत का इज़हार करता है तो लड़की मान जाती है कि उसमें मोहब्बत को ज़ाहिर करने की सलाहियत मौजूद है।
हिजाब इम्तियाज़ अली
रोज़ा-ख़ोर की सज़ा
एक ऐसे शेख़ साहब की कहानी है जिनका हड्डियों का कारोबार था। कुछ पुरानी किताबों की वजह उनके कई पढ़े-लिखे लोगों से मरासिन हो गए थे। उन्हीं में से एक ने शेख़ साहब को बताया कि फ़लाँ शख़्स कहता है कि उसकी कोई चीज़ आपके पास रेहन है, अगर आप उसे दे देंगे तो उसे कुछ सौ रुपये का फ़ायदा हो जाएगा। शेख़ ने अपने दोस्त की बात मानकर उस शख़्स को बुला भेजा लेकिन वह शख़्स अकेला नहीं आया। उसके साथ एक दूसरा शख़्स भी था, जिसने सबके सामने शेख़ साहब की हक़ीक़त बयान कर दी।
चौधरी मोहम्मद अली रुदौलवी
बुर्क़े
कहानी में बुर्क़े की वजह से पैदा होने वाली मज़हका-खेज़ सूरत-ए-हाल को बयान किया गया है। ज़हीर नामक नौजवान को अपने पड़ोस में रहने वाली लड़की से इश्क़ हो जाता है। उस घर में तीन लड़कियाँ हैं और तीनों बुर्क़े का इस्तेमाल करती हैं। ज़हीर ख़त किसी और लड़की को लिखता है और हाथ किसी का पकड़ता है। उसी चक्कर में एक दिन उसकी पिटाई हो जाती है और पिटाई के तुरंत बाद उसे एक रुक़्क़ा मिलता है कि तुम अपनी माँ को मेरे घर क्यों नहीं भेजते, आज तीन बजे सिनेमा में मिलना।
सआदत हसन मंटो
इश्क़-ए-हक़ीक़ी
अख़्लाक़ नामी नौजवान को सिनेमा हाल में परवीन नाम की एक लड़की से इश्क़ हो जाता है जिसके घर में सख़्त पाबंदियाँ हैं। अख़्लाक़ हिम्मत नहीं हारता और उन दोनों में ख़त-ओ-किताबत शुरू हो जाती है और फिर एक दिन परवीन अख़्लाक़ के साथ चली आती है। परवीन के गाल के तिल पर बोसा लेने के लिए अख़्लाक़ जब आगे बढ़ता है तो बदबू का एक तेज़ भभका अख़्लाक़ के नथुनों से टकराता है और तब उसे मालूम होता है कि परवीन के मसूढ़े सड़े हुए हैं। अख़्लाक़ उसे छोड़कर अपने दोस्त के यहाँ लायलपुर चला जाता है। दोस्त के गै़रत दिलाने पर वापस आता है तो परवीन को मौजूद नहीं पाता है।
सआदत हसन मंटो
हजामत
"मियाँ-बीवी की नोक झोंक पर मब्नी मज़ाहिया कहानी है, जिसमें बीवी को शौहर के बड़े बालों से डर लगता है लेकिन इस बात को ज़ाहिर करने से पहले हज़ार तरह के गिले-शिकवे करती है। शौहर कहता है कि बस इतनी सी बात को तुमने बतंगड़ बना दिया, मैं जा रहा हूँ। बीवी कहती है कि ख़ुदा के लिए बता दीजिए कहाँ जा रहे हैं वर्ना मैं ख़ुदकुशी कर लूँगी। शौहर जवाब देता है नुसरत हेयर कटिंग सैलून।"
सआदत हसन मंटो
ख़ुशबूदार तेल
यह मालिक और घर में काम करने वाली नौकरानी के बीच चल रहे अवैध संबंधों पर आधारित कहानी है। दोनों मियाँ बीवी में किसी बात को लेकर कहा-सुनी हो जाती है। इसी कहा-सुनी में उसकी बीवी बताती है कि उसने नौकरानी को निकाल दिया है। जब वह इसका कारण पूछता है तो वह बताती है कि उसके सिर में से भी उसी तेल की ख़ुश्बू आती थी जो उसके मियाँ के सिर में से आ रही है।
सआदत हसन मंटो
कबूतरों वाला साईं
"कहानी इंसानी आस्थाओं और मिथ्या लांछनों पर आधारित है। माई जीवाँ के नीम पागल बेटे को चमत्कारी समझना, सुंदर जाट डाकू जिसका वुजूद तक संदिग्ध है उससे गाँव वालों का खौफ़ज़दा रहना, नीती के ग़ायब होने को सुंदर जाट से वाबस्ता करना, ऐसी परिकल्पनाएं हैं जिनकी सत्यता का कोई तर्क नहीं।"
सआदत हसन मंटो
उस्ताद शम्मो ख़ाँ
यह कहानी उस्ताद शम्मो खाँ की है। एक ज़माने में वह पहलवान था। पहलवानी में उसने काफ़ी नाम कमाया था और अब अच्छी ख़ासी ज़िंदगी गुजार रहा था कि अब ज़िंदगी के बाक़ी दिन कबूतर-बाज़ी का शौक़ पूरा करके गुज़र रहा है। पास ही रहने वाले शेख जी भी कबूतर-बाज़ी का शौक़ रखते थे। अब कबूतर-बाज़ी के इस शौक़ में उन दोनों के बीच किस-किस तरह के दांव-पेंच होते हैं और कौन बाज़ी मारता है, यह सब जानने के लिए यह कहानी पढ़ें।
अहमद अली
शिकवा शिकायत
यह आत्मकथ्यात्मक शैली में लिखी गई चरित्र प्रधान कहानी है। शादी के बाद एक लंबा अरसा गुज़र जाने पर भी उसे हर वक़्त अपने शौहर से शिकायतें है। उसकी कोई भी बात, काम, सलीक़ा या फिर तरीक़ा पसंद नहीं आता। शिकवे इस क़दर हैं कि सारी ज़िंदगी बस जैसे-तैसे गुज़र गई है। मगर इन शिकायतों में भी एक ऐसा रस है जिससे शौहर के बिना एक लम्हें के लिए दिल भी नहीं लगता।
प्रेमचंद
जुवारी
यह एक शिक्षाप्रद और हास्य शैली में लिखी गई कहानी है। जुवारियों का एक समूह बैठा हुआ ताश खेल रहा था कि उसी वक़्त पुलिस वहाँ छापा मार देती है। पुलिस के पकड़े जाने पर हर जुवारी अपनी इज्ज़त और काम को लेकर परेशान होता है। जुवारियों का मुखिया नक्को उन्हें दिलासा देता है कि थानेदार उसका जानने वाला है और जल्द ही वे छूट जाएँगे। लेकिन छोड़ने से पहले थानेदार उन्हें जो सज़ा देता है वह काफ़ी दिलचस्प है।
ग़ुलाम अब्बास
मीठा माशूक़
यह उस वक़्त की कहानी है जब रेल ईजाद नहीं हुई थी और लोग पैदल, ऊँट या फिर घोड़ों पर सफ़र किया करते थे। लखनऊ शहर में एक शख़्स पर मुक़दमा चल रहा था और वह शख़्स शहर से काफ़ी दूर रहता था। मुक़दमे की तारीख़ पर हाज़िर होने के लिए वह अपने क़ाफ़िले के साथ शहर के लिए रवाना हो गया। साथ में नज़राने के तौर पर मिठाइयों का एक टोकरा भी था। पूरे रास्ते उस 'मीठे माशूक़' की वजह से उन्हें कुछ ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ा कि वहआराम से सो तक नहीं सके।
चौधरी मोहम्मद अली रुदौलवी
सोहबत-ए-ना-जिन्स
ग़ैर बराबरी की शादी की दास्तान सुनाती कहानी है, जिसमें एक लड़की की शादी एक ऐसे शख़्स से हो जाती है, जिसके आदात, आदाब और पसंद-नापसंद उससे बिल्कुल मुख्तख़लिफ़ होती हैं। अपने शौहर की इन हरकतों से तंग आकर वह अपनी एक सहेली को ख़त लिखती है और उससे इस परेशानी से छुटकारा पाने का तरीक़ा पूछती है।
सज्जाद हैदर यलदरम
रहमत-ए-खु़दा-वंदी के फूल
यह एक ऐसे शराबी शख़्स की कहानी है जो जितना बड़ा शराबी है, उतना ही बड़ा कंजूस है। वह दोस्तों के साथ शराब पीने से बचता है, क्योंकि इससे उसे ज़्यादा रूपये ख़र्च करने पड़ते हैं। लेकिन वह घर में भी नहीं पी सकता, क्योंकि इससे पत्नी के नाराज़़ हो जाने का डर रहता है। इस मुश्किल का हल वह कुछ इस तरह निकालता है कि पेट के दर्द का बहाना कर के दवाई की बोतल में शराब ले आता है और बीवी से हर पंद्रह मिनट के बाद एक ख़ुराक देने के लिए कहता है। इससे उसकी यह मुश्किल तो हल हो जाती है। मगर एक दूसरी मुश्किल उस वक़्त पैदा होती है जब एक रोज़ उसकी पत्नी पेट के दर्द के कारण उसी बोतल से तीन पैग पी लेती है।
सआदत हसन मंटो
अंधेरा
ऐसे दो लोगों की कहानी जो दिन भर शहर में काम करने के बाद शाम ढ़ले अपने गाँव को लौट रहे होते हैं। रास्ते में चलते हुए जैसे-जैसे अँधेरा बढ़ता जाता है उनमें से एक को डर लगने लगता है। डर से बचने के लिए वह अपने साथी से बातचीत शुरू करता है और उसका साथी उसका हौसला बढ़ाने के लिए एक ऐसी कहानी सुनाता है जो डर से जुड़ी होती है।
मोहम्मद मुजीब
चुग़द
यौन इच्छा एक पशुप्रवृत्ति है और इसके लिए किसी स्कीम और योजना की ज़रूरत नहीं होती। इसी मूल बिंदु पर बुनी गई इस कहानी में एक ऐसे नौजवान का वाक़िया बयान किया गया है जो एक पहाड़ी लड़की को आकर्षित करने के लिए हफ़्तों योजना बनाता रहता है फिर भी कामयाब नहीं होता। इसके विपरीत एक लारी ड्राईवर कुछ मिनटों में ही उस लड़की को राम करके अपनी इच्छा पूरी करने में सफल हो जाता है।
सआदत हसन मंटो
तस्वीर
पति-पत्नी के आपसी संबंधों और छोटी-छोटी बातों को लेकर उनके बीच होने वाली बहस इस कहानी का आधार है। पति-पत्नी में बच्चों की किसी बात को लेकर तकरार होने लगती है और ये तकरार बढ़ते-बढ़ते कई मुद्दों को उछालने लगती है। आख़िर में बात पति की जेब से निकली एक तस्वीर पर आकर रुकती है। तस्वीर के बारे में पत्नी पति पर आरोप लगाती हुई कहती है कि उसका उस तस्वीर वाली लड़की से चक्कर चल रहा है। पति इसका जवाब देते हुए कहता है कि वह तो उसकी बहन की तस्वीर है। पत्नी तस्वीर वाली लड़की को ध्यान से देखती है और उसे अपने भाई के लिए पसंद कर लेती है।
सआदत हसन मंटो
ताँगे वाले का भाई
कहानी एक ऐसे शख़्स की है जिसे जवानी में हुए एक हादसे के चलते औरत ज़ात से नफ़रत हो जाती है। वह उसकी जवानी की बहारों के दिन थे जब एक दिन अपने दोस्तों के साथ बैठा वह शराब पी रहा था कि अचानक ख़याल आया कि इस मौक़े पर कोई लड़की होनी चाहिए। दोस्तों के इसरार पर उसने एक ताँगे वाले से लड़की का इंतिज़ाम करने के लिए कहा। ताँगे वाला रात को एक बुर्क़ा-पोश को ताँगे में बिठा लाया। मगर कमरे में जाकर जब उसने उस औरत का नकाब खोला तो दंग रह गया। बुर्क़े में कोई औरत नहीं बल्कि हिजड़ा था, जिसने ख़ुद को ताँगे वाले का भाई बताया था।
सआदत हसन मंटो
क़ीमे की बजाय बोटियाँ
एक मद्रासी डॉक्टर के दूसरे प्रेम-विवाह की त्रासदी पर आधारित कहानी। वह डॉक्टर बेहद बेतकल्लुफ़ था। अपने दोस्तों पर बेहिसाब ख़र्च किया करता था। तभी उसकी एक औरत से दोस्ती हो गई जो उस से पहले अपने तीन शौहरों को तलाक़़ दे चुकी थी। डॉक्टर ने कुछ अरसे बाद उससे शादी कर ली। मगर जल्द ही उनके बीच झगड़े होने लगे। उस औरत ने अपनी नौकरानियों और उनके शौहरों से डॉक्टर की पिटाई करा दी। बदले में डॉक्टर ने उनके टुकड़े-टुकड़े कर के लोगों को दावत में खिला दिया।
सआदत हसन मंटो
परेशानी का सबब
यह अफ़साना एक ऐसे शख़्स की दास्तान बयान करता है जो अपने एक दोस्त के साथ घूमने जा रहा होता है। रास्ते में उसका दोस्त एक वेश्या के घर रुक जाता है। वहाँ उस वेश्या के साथ उनका झगड़ा हो जाता है। वेश्या उन सब लोगों के ख़िलाफ़़ मुक़द्दमा कर देती है। इस मुकद्दमे के चलते वह एक ऐसी परेशानी में घिर जाता है जिससे निकलने का उसे कोई रास्ता नज़र नहीं आता।
सआदत हसन मंटो
तक़ी कातिब
अफ़साना एक ऐसे मौलाना की दास्तान बयान करता है जो अपने जवान बेटे की शादी के ख़िलाफ़़ है। जवानी में उसकी बीवी की मौत हो गई थी और उसने ही बेटे को माँ और बाप दोनों बनकर पाला था। मगर अब वह जवान हो गया था और उसे एक औरत की शदीद ज़रूरत थी। पर मौलाना थे कि उसकी शादी ही नहीं करना चाहते थे। जहाँ भी उसकी शादी की बात चलती, वह किसी न किसी बहाने से उसे रुकवा देते। आख़िर में उसने मौलाना के ख़िलाफ़़ जाकर शादी कर ली और उन्हें छोड़कर दिल्ली चला गया। वहाँ जाकर उसने अपने मौलवी पिता की ख़ैरियत जानने के लिए ख़त लिखा और साथ ही सलाह दी कि वह भी अपनी शादी कर लें।
सआदत हसन मंटो
साहिब-ए-करामात
साहिब-ए-करामात सीधे सादे व्यक्तियों को मज़हब का लिबादा ओढ़ कर धोखा देने और मूर्ख बनाने की कहानी है। एक चालाक आदमी पीर बन कर मौजू का शोषण करता है। शराब के नशे में धुत्त उस पीर को करामाती बुज़ुर्ग समझ कर मौजू की बेटी और बीवी उसकी हवस का शिकार होती हैं। मौजू की अज्ञानता की हद यह है कि उस तथाकथित पीर की कृत्रिम दाढ़ी तकिया के नीचे मिलने के बाद भी उसकी चालबाज़ी को समझने के बजाय उसे चमत्कार समझता है।