ज़िंदगी के लिए सीख पर उद्धरण

हर दुख, हर अज़ाब के बाद ज़िंदगी आदमी पर अपना एक राज़ खोल देती है।

मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी

इरादे की नाकामी इन्सान को बुज़्दिल बना देती है और बुज़्दिल ही दुनिया से ख़ौफ़ खाता है।

हाजरा मसरूर

जब बात समझने वाले कम हो जाएं तो आधी बात समझने वालों की निस्बत ना समझने वालों से बात करना बेहतर है।

ख़ालिदा हुसैन

ज़ाती मिल्कियत का जुनून इन्सानियत को तबाही के ग़ार में धकेल कर रहेगा।

हाजरा मसरूर

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