आर्टिस्ट लोग
इस कहानी में आर्टिस्ट की ज़िंदगी की पीड़ा को बयान किया गया है। जमीला और महमूद अपनी कला के वुजूद के लिए कई तरह के जतन करते हैं लेकिन कला प्रेमियों की कमी के कारण कला का संरक्षण मुश्किल महसूस होने लगता है। हालात से परेशान हो कर आर्थिक निश्चिंतता के लिए वे एक फैक्ट्री में काम करने लगते हैं, लेकिन दोनों को यह काम कलाकार के प्रतिष्ठा के अनुकूल महसूस नहीं होता इसीलिए दोनों एक दूसरे से अपनी इस मजबूरी और काम को छुपाते हैं।
सआदत हसन मंटो
अंधी मोहब्बत
किसी दुर्घटना में अंधी हुई एक लड़की की कहानी है। जो डॉक्टर उसका इलाज कर रहा है, लड़की को उस डाक्टर से मोहब्बत हो जाती है। उन दोनों की शादी भी हो जाती है। लड़की के आँखों के ऑपरेशान के बाद जब वह अपने शौहर को देखती है तो उसे देखकर वह इतनी हैरान होती है कि वह दिल ही दिल में दुआ करती है कि काश, उसकी आँखें ठीक नहीं हुई होतीं। लड़की की यह हालत देखकर उसका डाक्टर शौहर उसे अपने अस्सिटेंट के हवाले कर के उसकी ज़िंदगी से चला जाता है।
हिजाब इम्तियाज़ अली
प्रेम कहानी
मोहब्बत का इज़हार करना भी उतना ही ज़रूरी है जितना की मोहब्बत करना है। अगर आप इज़हार नहीं करेंगे तो अपने हाथों अपनी मोहब्बत का क़त्ल कर देंगे। यह कहानी भी एक ऐसे ही क़त्ल की दास्तान है। नायक एक लड़की से बे-पनाह मोहब्बत करता है। एक दिन वह उसके साथ एक साईकिल ट्रिप पर भी जाता है। मौसम बहुत खु़शगवार है लेकिन वह चाहने के बाद भी इज़हार नहीं कर पाता है। उसके इज़हार न करने के कारण लड़की उससे दूर हो जाती है और फिर कभी उसके पास नहीं आती है। हालांकि वह उससे बीच-बीच में मुलाक़ात करती है। मोहब्बत करने और उसका इज़हार न करने पर इंसान की क्या हालत होती है वह आप इस कहानी को पढ़ कर जान सकते हैं।
अहमद अली
अब और कहने की ज़रुरत नहीं
उचित फ़ीस लेकर दूसरों की जगह जेल की सज़ा काटने वाले एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जो लोगों से पैसे ले कर उनके किए जुर्म को अपने सिर ले लेता है और जेल की सज़ा काटता है। उन दिनों जब वह जेल की सज़ा काट कर आया था तो कुछ ही दिनों बाद उसकी माँ की मौत हो गई थी। उस वक़्त उसके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह माँ का कफ़न-दफ़न कर सके। तभी उसे एक सेठ का बुलावा आता है, पर वह जेल जाने से पहले अपनी माँ को दफ़ानाना चाहता है। सेठ इसके लिए उसे मना करता है। जब वह सेठ से बात तय कर के अपने घर लौटता है तो सेठ की बेटी उसके आने से पहले ही उसकी माँ के कफ़न-दफ़न का इंतज़ाम कर चुकी होती है।
सआदत हसन मंटो
आम
यह एक ऐसे बूढ़े मुंशी की कहानी है जो पेंशन के बूते अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। अपने अच्छे स्वभाव के कारण उसकी अमीर लोगों से जान-पहचान है। लेकिन उन अमीरों में दो लोग ऐसे भी हैं जो उसे बहुत प्रिय हैं। उनके लिए वह हर साल आम के मौसम में अपने परिवार वालों की इच्छाओं का गला घोंट कर आम के टोकरे भिजवाता है। मगर इस बार की गर्मी इतनी भयानक थी कि वह बर्दाश्त न कर सका और उसकी मौत हो गई। उसके मरने की सूचना जब उन दोनों अमीर-ज़ादों को दी गई तो दोनों ने ज़रूरी काम का बहाना करके उसके घर आने से इनकार कर दिया।
सआदत हसन मंटो
कुत्ते की दुआ
यह कहानी एक कुत्ते की अपने मालिक के प्रति वफ़ादारी की एक अनोखी दास्तान बयान करती है। उस व्यक्ति ने अपनी और अपने कुत्ते गोल्डी की कहानी सुनाते हुए बीती ज़िंदगी की कई घटनाओं का ज़िक्र किया। उन घटनाओं में उन दोनों के आपसी सम्बंधों और एक-दूसरे के प्रति लगाव के बारे में कई प्रेरक प्रसंग थे। मगर वास्तविक कहानी तो यह थी कि जब एक बार मालिक बीमार पड़ा तो कुत्ते ने उसके लिए ऐसी दुआ माँगी कि मालिक तो ठीक हो गया, पर कुत्ता अपनी जान से जाता रहा।
सआदत हसन मंटो
बुड्ढ़ा खूसट
"यह एक बूढ़े कर्नल के इश्क़ की सफ़लता की कहानी है। कर्नल उस्मानी एक बूढ़ा आदमी था जिसे सलीम जैसा जवान आदमी बूढ्ढा खूसट और अनावश्यक वस्तु समझता था लेकिन एक दिन उन्होंने देखा कि कर्नल उस्मानी उसकी महबूबा आयरन का चुम्बन ले रहे हैं तो सलीम को लगा कि वो ख़ुद कर्नल उस्मानी से ज़्यादा बूढ्ढा खूसट है।"
सआदत हसन मंटो
हामिद का बच्चा
हामिद नाम के एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो मौज-मस्ती के लिए एक वेश्या के पास जाता रहता है। पर जल्दी ही उसे पता चलता है कि वह वेश्या उससे गर्भवती हो गई है। इस ख़बर को सुनकर हामिद डर जाता है। वह वेश्या को उसके गाँव छोड़ आता है। उसके बाद वह योजना बनाता है कि जैसे ही बच्चा पैदा होगा वह उसे दफ़न कर देगा। मगर बच्चे की पैदाइश के बाद जब वह उसे दफ़न करने गया तो उसने एक नज़र बच्चे को देखा। बच्चे की शक्ल हू-ब-हू उस वेश्या के दलाल से मिलती थी।
सआदत हसन मंटो
बासित
मुख़्तलिफ़ वजहों से बासित उस लड़की से शादी के लिए राज़ी नहीं था जिस लड़की से उसकी माँ उसकी शादी कराना चाहती थी, अंततः उसने हथियार डाल दिए। शादी के बाद बासित की बीवी सईदा हर वक़्त खौफ़ज़दा और गुम-सुम सी रहती थी। इस बात को शुरू में बासित ने नये माहौल और नये घर की झिझक समझा था, लेकिन एक दिन गु़सलखाने में जब सईदा का हमल ज़ाए‘अ हुआ तब बासित को सही सूरत-ए-हाल का अंदाज़ा हुआ। बासित ने सईदा को माफ़ कर दिया लेकिन बासित की माँ अधूरा बच्चा देखकर बर्दाश्त न कर सकी और दुनिया से चल बसी।
सआदत हसन मंटो
शान्ति
इस कहानी का विषय एक वेश्या है। कॉलेज के दिनों में वह एक नौजवान से मोहब्बत करती थी। जिसके साथ वह घर से भाग आई थी। मगर उस नौजवान ने उसे धोखा दिया और वह धंधा करने लगी थी। बंबई में एक रोज़ उसके पास एक ऐसा ग्राहक आता है, जिसे उसके शरीर से ज़्यादा उसकी कहानी में दिलचस्पी होती है। फिर जैसे-जैसे शांति की कहानी आगे बढ़ती है वह व्यक्ति उसमें डूबता जाता है और आख़िर में शांति से शादी कर लेता है।
सआदत हसन मंटो
ओल्ड एज होम
आराम-ओ-सुकून का तालिब एक ऐसे बूढ़े शख़्स की कहानी जो सोचता था कि रिटायरमेंट के बाद इत्मीनान से अपने घर में रहेगा, मज़े से अपनी पसंद की किताबें पढ़ेगा। लेकिन साथ रह रहे घर के दूसरे लोगों के अलावा अपने पोते-पोतियों के शोर-शराबे से उसे ऊब होने लगी और वह घर छोड़कर ओल्ड एज होम में रहने चला जाता है। वहाँ अपने से पहले रह रहे एक शख़्स का एक ख़त उसे मिलता है जिसमें वह अपने बच्चों को याद करके रोता है। उस ख़त को पढ़कर उसे अपने बच्चों की याद आती है और वह वापस घर लौट जाता है।
मिर्ज़ा अदीब
डालन वाला
यह कहानी बचपन की यादों के सहारे अपने घर और घर के वसीले से एक पूरे इलाक़े की, और उस इलाक़े द्वारा विभिन्न व्यक्तियों के जीवन की चलती-फिरती तस्वीरें पेश करती है। समाज के अलग-अलग वर्गों से सम्बंध रखने वाले, पृथक आस्थाएं और विश्वास रखने वाले, विभन्न लोग हैं जो अपनी-अपनी समस्याओं और मर्यादाओं में बंधे हैं।
क़ुर्रतुलऐन हैदर
गिलगित ख़ान
यह होटल में काम करने वाले एक बहुत बदसूरत नौकर की कहानी है। उसकी बदसूरती के कारण उसका मालिक उसे पसंद करता है और न ही वहाँ आने वाले ग्राहक। मगर अपनी मेहनत और शिष्टाचार से वह सभी का लोकप्रिय बन जाता है। अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए वह मालिक की नापसंदगी के बावजूद एक कुत्ते का पिल्ला पाल लेता है। बड़ा होने पर कुत्ते को पेट की कोई बीमारी हो जाती है, तो उसे ठीक करने के लिए गिलगित ख़ान चोरी से अपने मालिक का बटेर मारकर कुत्ते को खिला देता है।
सआदत हसन मंटो
जान मोहम्मद
इंसान की नफ़्सियाती पेचीदगियों और तह दर तह पोशीदा शख़्सियत को बयान करती हुई कहानी है। जान मोहम्मद मंटो के बीमारी के दिनों में एक मुख़लिस तीमारदार के रूप में सामने आया और फिर बेतकल्लुफी से मंटो के घर आने लगा, लेकिन असल में वह मंटो के पड़ोस की लड़की शमीम के चक्कर में आता था। एक दिन शमीम और जान मोहम्मद घर से फ़रार हो जाते हैं, तब उसकी असलियत पता चलती है।
सआदत हसन मंटो
कोट पतलून
आर्थिक तंगी से जूझ रहे एक ऐसे आदमी की कहानी जिसे 'नैतिक' और 'अनैतिक' की दुविधा खुल खेलने का मौक़ा नहीं देती। नाज़िम एक ऐसी बिल्डिंग में रहता है जहाँ एक औरत की पसंदीदगी का स्तर 'कोट-पतलून' है। क़र्ज़ बढ़ने की वजह से उसे अपना कोट-पतलून बेचना पड़ता है और बिल्डिंग ख़ाली करनी पड़ती है। नाज़िम जिस दिन मकान छोड़कर जा रहा होता है तो वह देखता है कि ज़ुबैदा की निगाहों का मर्कज़ एक और नौजवान है जो कोट-पतलून पहने हुए है।
सआदत हसन मंटो
क़ैदी की सरगुज़श्त
जेल में बंद एक ऐसे क़ैदी की कहानी है जो सियासी मुजरिम है। क़ैद में बाहर की दुनिया और बीती ज़िंदगी को याद करके वह उदास हो जाता है। फिर एक रोज़ उसके पास एक बिल्ली का बच्चा आ जाता है। बिल्ली का बच्चा उसके साथ रहने लगता है। एक दिन अचानक उस क़ैदी की तबियत ख़राब होती है और वह तड़प-तड़प कर मर जाता है। सुबह जब संतरी उसे देखने आता है तो उसके साथ ही वह बिल्ली के बच्चे को भी मरा हुआ पाता है।